लोकसभा में 30 नवंबर को प्रश्नकाल के लिए कुल 20 सवाल लोकसभा की कार्यवाही में दर्ज थे. जिन सांसदों ने सरकार से ये सवाल पूछने की मंशा जाहिर की थी उनमें ज्यादातर सदन में मौजूद नहीं थे. सूची में दर्ज 20 में से सिर्फ 2 सवाल पूछे जा सके और बाकी के 18 सवाल धरे के धरे रह गए. मजबूरन प्रश्नकाल को ही स्थगित करना पड़ा.
हमारा आज का सवाल यह है कि क्या सांसद संसद की अनदेखी कर रहे हैं ?
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3 comments:
सांसद जनता के सवाल उठाने में कोताही कैसे कर सकते हैं
सांसद संसद की अनदेखी ही नही उन मतदाताओं के साथ बादा खिलाफी कर रहे हैं जिन्होंने बड़ी उम्मीद से उन्हें संसद की दहलीज पार करायी है। जनता के मुद्दे उठाना उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी जिससे वो बच रहे हैं।
हाँ, वे व्यर्थ और बेकार की लड़ाई और चर्चा में संसद के कीमती समय की बर्बादी करके संसद का अपमान कर रहे हैं
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